Guru Nanak Jayanti (Gurpurab) 2020 Date, Wishes Images, Quotes:
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गुरु पर्व का सिख धर्म में बहुत महत्व है। इस बार गुरु नानक देव की जयंती 30 नवंबर, सोमवार को मनाई जाएगी। हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि के दिन गुरु नानक जयंती यानी गुरु पूर्णिमा को हर्षोल्लास के साथ महापर्व के रूप में मनाया जाता है। सिख धर्म में श्रद्धा रखने वाले लोगों सच्चे मन से मत्था टेकने गुरुद्वारे पहुंचते हैं और गुरु नानक देव जी से आशीष देते हैं।
गुरु नानक देव का मन बचपन से ही धार्मिक गतिविधियों में लगा रहता था। बताया जाता है कि उनकी इस धार्मिक प्रवृति की वजह से उनके माता-पिता चिंतित रहते थे। एक बार जब गुरु नानक देव जी के पिता ने उन्हें पढ़ाई करने के लिए गुरुकुल में भेजा, लेकिन उनके गुरु, नानक देव के सवाल पर निरुत्तर हो गए।
गुरु नानक देव के ऐसे ज्ञान को परखकर उनके शैक्षणिक गुरु इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि उन्हें स्वयं ईश्वर ने ज्ञान देकर संसार में भेजा है। प्राचीन कथा के अनुसार गुरु नानक देव को एक मौलवी के पास भी पढ़ाई करने के लिए भेजा था, लेकिन कुतुबुद्दीन नामक मौलवी उनकी जिज्ञासाओं को शांत नहीं कर पाए थे।
कैसे मनाई जाती हैं गुरु नानक जयंती (How To Celebrate Guru Nanak Jayanti)
प्रकाश पर्व गुरु नानक देव जी को याद किया जाता है। इस दिन सिख धर्म के लोग प्रार्थना करते हैं। इन सभाओं में गुरु नानक देव के द्वारा दी गई शिक्षाओं के बारे में बताया जाता है। साथ ही उनके जीवन के बारे में पाठ किया जाता है। सिख धर्म के लोग इस दिन अपने घरों और मोहल्लों में अखंड पाठ भी कराते हैं।
इसमें खासतौर पर सिख धर्म के प्रमुख ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब आदि का पाठ किया जाता है। कई जगह गुरु नानक जयंती से एक दिन पहले भी भजन-कीर्तन करते हुए प्रभात फेरी निकाली जाती है। गुरुद्वारों आदि पवित्र स्थानों पर लंगर का आयोजन किया जाता है। क्योंकि गुरु नानक जी के मुताबिक जीवों को भोजन कराना ईश्वर की सेवा करने के बराबर है।
गुरू नानक देव की प्रमुख शिक्षाएं –
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गुरू नानक देव का मानना था कि ईश्वर एक है।
दुनिया में किसी व्यक्ति को भ्रम में नहीं रहना चाहिए। बिना गुरु के कोई भी व्यक्ति दूसरे किनारे तक नहीं जा सकता है। धार्मिक व्यक्ति वही है जो सभी लोगों का समान रूप से सम्मान करे।
Guru Nanak Jayanti 2020: कौन हैं गुरु नानक देव, जानें उनके जीवन से जुड़ी ये 10 महत्वपूर्ण बातें
Guru Nanak Jayanti 2020: सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी का जन्म कार्तिक पूर्णिमा के दिन हुआ था। कार्तिक पूर्णिमा के दिन गुरु नानक देव जी की जयंती पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। कार्तिक पूर्णिमा को प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष गुरु नानक देव जी की जयंती 12 नवंबर दिन मंगलवार को है। गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल, 1469 में तलवंडी नामक स्थान पर हुआ था। बाद में तलवंडी का नाम ननकाना साहब पड़ा, जो पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में है। आइए गुरु नानक देव जी की जयंती पर हम जानते हैं उनके जीवन से जुड़ी प्रमुख बातों के बारे में।
1. गुरु नानक देव जी के पिता का नाम कल्यानचंद या मेहता कालू जी था, वहीं माता का नाम तृप्ता देवी था। नानक देव जी की एक बहन थीं, जिनका नाम नानकी था।
2. नानक देव जी बचपन से ही धीर-गंभीर स्वभाव के थे। उन्होंने बाल्यकाल से ही रूढ़िवादी सोच का विरोध किया।
3. एक बार उनके पिता जी ने उनको 20 रुपये देकर बाजार भेजा और बोले कि खरा सौदा लेकर आना। उन्होंने उन रुपयों से भूखे साधुओं को भोजन करा दिया। लौटकर उन्होंने पिता जी से कहा कि वे खरा सौदा कर आए हैं।
4. गुरु नानक देव जी की पत्नी का नाम सुलक्षिनी था, वह बटाला की रहने वाली थीं। उनके दो बेटे थे, एक बेटे का नाम श्रीचंद और दूसरे बेटे का नाम लक्ष्मीदास था।
5. नानक देव जी ने सिख धर्म की स्थापना की थी, वे सिखों के प्रथम गुरू हैं। वे अंधविश्वास और आडंबरों के सख्त विरोधी थे।
6. नानक देव जी एक दार्शनिक, समाज सुधारक, कवि, गृहस्थ, योगी और देशभक्त थे।
7. नानक जी जात-पात के खिलाफ थे। उन्होंने समाज से इस बुराई को खत्म करने के लिए लंगर की शुरुआत की। इसमें अमीर-गरीब, छोटे-बड़े और सभी जाति के लोग एक साथ बैठकर भोजन करते हैं।
8. नानक देव जी ने 'निर्गुण उपासना' का प्रचार प्रसार किया। वे मूर्ति पूजा के खिलाफ थे। उनका कहना था कि ईश्वर एक है, वह सर्वशक्तिमान है, वही सत्य है।
9. नानक देव जी ने समाज को जागरूक करने के लिए काफी यात्राएं की। उन्होंने हरिद्वार, अयोध्या, प्रयाग, काशी, गया, पटना, असम, बीकानेर, पुष्कर तीर्थ, दिल्ली, पानीपत, कुरुक्षेत्र, जगन्नाथपुरी, रामेश्वर, सोमनाथ, द्वारका, नर्मदातट, मुल्तान, लाहौर आदि स्थानों का भ्रमण किया।
10. गुरु नानक देव जी का देहावसान करतारपुर में 1539 में हुआ। स्वर्गगमन से पूर्व उन्होंने बाबा लहना को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया। वे गुरू अंगददेव के नाम से प्रसिद्ध हुए।
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Guru Nanak Jayanti 2020: कार्तिक पूर्णिमा के दिन जन्मे थे गुरु नानक देव, जानें कब है गुरु नानक जयंती ?
Guru Nanak Jayanti 2020:
सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक जी (Guru Nanak Jayanti) के जन्म दिवस के दिन गुरु पर्व (Guru Parv) या प्रकाश पर्व (Prakash Parv) मनाया जाता है. गुरु नानक जयंती के दिन सिख समुदाय के लोग 'वाहे गुरु, वाहे गुरु' जपते हुए सुबह-सुबह प्रभात फेरी निकालते हैं. गुरुद्वारे में शबद-कीर्तन करते हैं, रुमाला चढ़ाते हैं, शाम के वक्त लोगों को लंगर खिलाते हैं. गुरु पर्व (Guru Parv) के दिन सिख धर्म के लोग अपनी श्रृद्धा के अनुसार सेवा करते हैं और गुरु नानक जी के उपदेशों यानी गुरुवाणी का पाठ करते हैं. आपको बता दें कि गुरु नानक जयंती कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) के दिन मनाई जाती है. इस दिन देवों की दीवाली यानी देव दीपावली भी होती है.
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गुरु नानक जयंती कब है?
हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की पूर्णिमा को गुरु नानक जयंती मनाई जाती है. ग्रेगोरियन कैलेंडर के मुताबिक गुरु पर्व हर साल नवंबर महीने में आता है. इस बार गुरु नानक जयंती 30 नवंबर 2020 को है. हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही गुरु पर्व (Guru Parv) मनाया जाता है.
गुरु नानक जयंती क्यों मनाई जाती है?
गुरु पर्व या प्रकाश पर्व (Guru Parv or Prakash Parv) गुरु नानक जी (Guru Nanak Ji) की जन्म की खुशी में मनाया जाता है. सिखों के प्रथम गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 को राय भोई की तलवंडी (राय भोई दी तलवंडी) नाम की जगह पर हुआ था, जो अब पाकिस्तान के पंजाब प्रांत स्थित ननकाना साहिब (Nankana Sahib) में है. इस जगह का नाम ही गुरु नानक देव जी के नाम पर पड़ा. यहां बहुत ही प्रसिद्ध गुरुद्वारा ननकाना साहिब (Gurdwara Nankana Sahib) भी है, जो सिखों का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल माना जाता है. इस गुरुद्वारे को देखने के लिए दुनिया भर से लोग आते हैं. बता दें, शेर-ए पंजाब (Sher-E-Punjab) नाम से प्रसिद्ध सिख साम्राज्य के राजा महाराजा रणजीत सिंह (Maharaja Ranjit Singh) ने ही गुरुद्वारा ननकाना साहिब का निर्माण करवाया था. सिख समुदाय के लोग दीपावली के 15 दिन बाद आने वाली कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही गुरु नानक जयंती मनाते हैं.
गुरु नानक जी कौन थे?
गुरु नानक जी (Guru Nanak) सिख समुदाय के संस्थापक और पहले गुरु थे. उन्होंने ही सिख समाज की नींव रखी. उनके अनुयायी उन्हें नानक देव जी, बाबा नानक और नानकशाह कहकर पुकारते हैं. वहीं, लद्दाख और तिब्बत में उन्हें नानक लामा (Nanak Lama) कहा जाता है. गुरु नानक जी ने अपना पूरा जीवन मानवता की सेवा में लगा दिया. उन्होंने सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि अफगानिस्तान, ईरान और अरब देशों में भी जाकर उपदेश दिए. पंजाबी भाषा में उनकी यात्रा को 'उदासियां' कहते हैं. उनकी पहली 'उदासी' अक्टूबर 1507 ईं. से 1515 ईं. तक रही. 16 साल की उम्र में सुलक्खनी नाम की कन्या से शादी की और दो बेटों श्रीचंद और लखमीदास के पिता बने. 1539 ई. में करतारपुर (जो अब पाकिस्तान में है) की एक धर्मशाला में उनकी मृत्यु हुई. मृत्यु से पहले उन्होंने अपने शिष्य भाई लहना को उत्तराधिकारी घोषित किया जो बाद में गुरु अंगद देव नाम से जाने गए. गुरु अंगद देव ही सिख
धर्म के दूसरे गुरु बने.
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गुरु नानक जी के उपदेश
1. ईश्वर एक है. वह सर्वत्र विद्यमान है. हम सबका "पिता" वही है इसलिए सबके साथ प्रेम पूर्वक रहना चाहिए.
2. तनाव मुक्त रहकर अपने कर्म को निरंतर करते रहना चाहिए तथा सदैव प्रसन्न भी रहना चाहिए.
3. गुरु नानक देव पूरे संसार को एक घर मानते थे जबकि संसार में रहने वाले लोगों को परिवार का हिस्सा.
4. किसी भी तरह के लोभ को त्याग कर अपने हाथों से मेहनत कर एवं न्यायोचित तरीकों से धन का अर्जन करना चाहिए.
5. कभी भी किसी का हक नहीं छीनना चाहिए बल्कि मेहनत और ईमानदारी की कमाई में से ज़रुरतमंद को भी कुछ देना चाहिए.
6. लोगों को प्रेम, एकता, समानता, भाईचारा और आध्यत्मिक ज्योति का संदेश देना चाहिए.
7. धन को जेब तक ही सीमित रखना चाहिए. उसे अपने हृदय में स्थान नहीं बनाने देना चाहिए.
8. स्त्री-जाति का आदर करना चाहिए. वह सभी स्त्री और पुरुष को बराबर मानते थे.
9. संसार को जीतने से पहले स्वयं अपने विकारों पर विजय पाना अति आवश्यक है.
10. अहंकार मनुष्य को मनुष्य नहीं रहने देता अतः अहंकार कभी नहीं करना चाहिए बल्कि विनम्र हो सेवाभाव से जीवन गुजारना चाहिए.
सिख धर्म के गुरुओं के नाम
पहले गुरु - गुरु नानक देव
दूसरे गुरु - गुरु अंगद देव
तीसरे गुरु - गुरु अमर दास
चौथे गुरु - गुरु राम दास
पाचंवे गुरु - गुरु अर्जुन देव
छठे गुरु - गुरु हरगोबिन्द
सातवें गुरु - गुरु हर राय
आठवें गुरु - गुरु हर किशन
नौवें गुरु - गुरु तेग बहादुर
दसवें गुरु - गुरु गोबिंद सिंह
दस गुरुओं के बाद गुरु ग्रन्थ साहिब (Gur Granth Sahib) को ही सिख धर्म का प्रमुख धर्मग्रंथ माना गया. गुरु ग्रन्थ साहिब में कुल 1430 पन्ने हैं, जिसमें सिख गुरुओं के उपदेशों के साथ-साथ 30 संतों की वाणियां भी शामिल हैं.
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गुरु नानक जयंती पर्व तिथि व मुहूर्त 2020
गुरु नानक जयंती
30 नवंबर 2020
जयंती तिथि - सोमवार, 30 नवंबर 2020
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ - 12:47 बजे (29 नवंबर 2020) से
पूर्णिमा तिथि समाप्त - 14:58 बजे (30 नवंबर 2020) तक
गुरुजी की दस शिक्षाएं -
1 - परम पिता परमेश्वर एक हैं|
2 - सदैव एक ही ईश्वर की आराधना करो|
3 - ईश्वर सब जगह और हर प्राणी में विद्यमान हैं|
4 - ईश्वर की भक्ति करने वालों को किसी का भी भय नहीं रहता|
5 - ईमानदारी और मेहनत से पेट भरना चाहिए|
6 - बुरा कार्य करने के बारे में न सोचें और न ही किसी को सताएं|
7 – हमेशा खुश रहना चाहिए, ईश्वर से सदा अपने लिए क्षमा याचना करें|
8 - मेहनत और ईमानदारी की कमाई में से जरूरत मंद की सहायता करें|
9 - सभी को समान नज़रिए से देखें, स्त्री-पुरुष समान हैं|
10 - भोजन शरीर को जीवित रखने के लिए आवश्यक है| परंतु लोभ-लालच के लिए संग्रह करने की आदत बुरी है|
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