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Bhai Dooj 2020

Bhai Dooj Ritual Mantra:भाई दूज पर बहनें देती हैं भाइयों को शाप, गजब है रिवाज

Bhai Dooj 2020
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कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि को भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 29  अक्टूबर, मंगलवार के दिन पड़ रहा है। दिवाली के पांच दिवसीय पर्व का यह आखिरी त्योहार होता है। भाई दूज से जुड़ी धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन जो भाई अपनी बहन के घर भोजन करते हैं उनकी उम्र बढ़ती है और यमराज बहनों द्वारा मांगी गई मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। भाई दूज का पर्व देश के अलग-अलग भागों में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। आइए देखें इस पर्व का अनोखापन।

इसलिए मनाते हैं भाई-दूज का पर्व

Bhai Dooj 2020

16th November

Bhai Dooj Tika Muhurat = 13:09 to 15:16


भाईदूज से जुड़ी अजब गजब रिवाज जानने से पहले जरूरी है कि हम यह भी जानें कि आखिर भाई-बहन के प्रेम के प्रतीक का पर्व भाईदूज मनाया क्यों जाता है? पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि पर देवी यमुना के भाई यमराज लंबे समय बाद अपनी बहन से मिलने उनके घर पहुंचे। घर आए भाई का यमुना ने खूब सादर सत्कार किया और उन्हें स्वादिष्ट भोजन भी खिलाया। बहन के सेवाभाव प्रसन्न होकर यमराज ने अपनी बहन से वर मांगने को कहा, तब देवी यमुना बोलीं कि ‘भाई आप यमलोक के स्वामी हैं, वहां व्यक्ति को अपने कर्मों के आधार पर दंड भुगतना पड़ता है, इसलिए मैं वरदानस्वरूप मांगती हूं कि जो मनुष्य मेरे जल में स्नान करके आज के दिन अपनी बहन के घर भोजन करेगा, उसे मृत्यु के बाद यमलोक न जाना पड़े।’ इस तरह यमराज ने बहन यमुना को वचन दिया। तभी से इस तिथि को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है।

ऐसे पड़ा इस पर्व का नाम भाईदूज


आम बोलचाल की भाषा में हिंदी कैलेंडर की द्वितीया तिथि को दूज कहते हैं, चूंकि क्योंकि यह त्योहार भाई द्वारा बहन के घर आने की मान्यता से जुड़ा है, इसलिए बदलते समय के साथ इस त्योहार का नाम भाई-दूज पड़ गया। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि भाईदूज के नाम से प्रचलित हो गई। इस दिन बहनें भाइयों के माथे पर टीका करती है और भाई बहन के घर भोजन करता है।


भाईदूज पर भाई को मृत्यु का शाप


पूर्वांचल सहित मिथिला के कुछ क्षेत्रों में भाईदूज कुछ अलग तरीके से मनाया जाता है। यहां पर इस दिन बहनें सुबह-सुबह पूजा की तैयारी करती हैं। भाई को यमराज के दूतों से बचाने लिए भाई की पूजा करते हुए उनकी भाई दूज के दिन मृत्यु की कामना करती हैं। इसके बाद बहनें यमदेव से प्रार्थना करते हुए कहती हैं, ‘हे ईश्वर, मैंने अभी तक जो कहा है वह सच नहीं हो। आप मेरे भाई को लंबी आयु प्रदान करें।’ मैंने जो भी कहा है वह आपके वरदान की वजह से बोला है क्योंकि आज जो भी बलाएं आएंगी आप उसे टाल देंगे। इसके बाद बहनें भाई को रुई की माला बनाती हैं और मिठाई खिलाती हैं।

भाईदूज पर इसलिए भाइयों को देते हैं शाप

बिहार के मिथलांचल क्षेत्र में कुछ जगह भाई की पूजा करते हुए बहनें कहती हैं ‘सांप काटे, बाघ काटे, बिच्छू काटे जो काटे सो आज काटे’। दरअसल इन शाप दिए जाने के पीछे ऐसा माना जाता है कि इस दिन यम के दूत भाई के प्राण नहीं लेंगे। भाई पर पूरे साल में जो विपत्ति आनी हो वह आज ही आ जाए क्योंकि आज जो भी विपत्ति आएगी वह बहनों की दुआओं से टल जाएगी।

भाई की हथेली पर पान और सिक्का रखकर पूजा


बिहार के मिथिला क्षेत्र में भाई दूज पर बहनें पान, कुम्हरे के फूल, सुपारी और सिक्का भाई की हथेली पर रखकर भाई की लंबी उम्र के लिए दुआएं मांगते हुए बोलती हैं। गंगा पूजे यमुना को, यम पूजे यमराज को, गंगा यमुना नीर बहे, मेरे भाई की उम्र बढ़े। बहनें सभी सामग्री तीन बार भाई की हथेली पर रखकर यह मंत्र बोलती हैं। इसके बाद भाई को मिठाई खिलाती है। इस पूजा में भाई की हथेली पर सिक्का भाई की समृद्धि के लिए रखती हैं।

भाईदूज के दिन यमुना में स्नान का है महत्व

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यम और यमुना सूर्यदेव की संतान हैं। यमुना समस्त कष्टों का निवारण करने वाली देवी स्वरूपा हैं। उनके भाई मृत्यु के देवता यमराज हैं। यम द्वितीया के दिन यमुना नदी में स्नान करने और वहीं यमुना और यमराज की पूजा करने का बहुत महत्व है। इस दिन बहन अपने भाई को तिलक लगाकर उसकी लंबी उम्र के लिए हाथ जोड़कर यमराज से प्रार्थना करती है। स्कंद पुराण में लिखा है कि इस दिन यमराज पूजन करनेवालों को मनोवांछित फल मिलता है। धन-धान्य, यश एवं दीर्घायु की प्राप्ति होती है।

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